पता नही
पता नही हममें इतनी उम्मीद – ए – मुहब्बत किसने भर दी है । कोई नफरत के बीज भी बोये,हम प्यार की फसल ही उगाते है ।टूटती हुई शाखों पर भी घरौंदे बनाते है । और तो औरहमारी आंख से आँसू भी टपकेवो किसीके हमदर्द होने का अहसास ही जताते है । ना जाने किस मिट्टी से बने है हम कोई रौंद भी …